अलकनंदा नदी के तट पर एक साथ जली 11 चिताएं,
चमोली: चमोली में अलकनंदा नदी के तट पर गुरुवार को माहौल बेहद गमगीन हो गया। जब एक साथ 11 चिताएं जलीं तो हर ओर करुण कृंदन था।
हर किसी की आंख में आंसू और जुबां पर एक ही बात थी कि ऐसा किसी के साथ कभी न हो। आपको बता दें कि चमोली जिले में करंट फैलने के बाद हुए हादसे में 16 लोगों की मौत हो गई। बुद्धवार को 5 शवों का अंतिम संस्कार कर दिया गया। आज यानी गुरुवार को बाकी 11 शवो का अंतिम संस्कार हुआ। जब एक साथ 11 चिताएं जली तो हर आंख में आंसू थे। जिनका अंतिम संस्कार हुआ, उनमें से 10 लोग हरमनी गांव के थे जबकि 1 पाडुली गांव का था। इस दर्दनाक हादसे में हरमनी गांव के सबसे ज्यादा 10 लोग मारे गए। 22 साल का प्रमोद कुमार, 26 साल का विपिन, 26 साल का सुरेन्द्र…इन युवाओं को तो अभी अपनी जिंदगी के कई बसंत देखने थे लेकिन उससे पहले ही मौत उन्हें अपने पास खींच ले आई। हरमनी और पाडुली गांव में चूल्हे तक नहीं जले। जहां देखिए वहां सिर्फ आंसू ही आंसू हैं।
चमोली में हुए हादसे ने संतोषी देवी को पूरी तरह से तोड़कर रख दिया। संतोषी देवी ने इस हादसे में अपने पति और दो बेटों को खो दिया। अब घर में संतोषी और उनका एक जवान बेटा ही बचा है। संतोषी देवी का भरापूरा परिवार एक झटके में तबाह हो गया। कल तक हंसते खेलते परिवार पर अब दुखों का पहाड़ टूट गया है। हर कोई स्तब्ध है, निशब्द है। अचानक हुए एक हादसे ने सब कुछ छीन लिया। किसी का पति, किसी का बेटा, किसी का भाई, किसी के बुढ़ापे का सहारा चला गया। जहां देखिए बस मातम पसरा है। एक के बाद एक के मरने की खबर पाकर हर कोई सन्न रह गया। इन जख्मों का भरना बेहद मुश्किल है, बेहद कठिन है। दर्दनाक हादसे का वो मंजर कोई भूल नहीं पाएगा। chamoli incident का वो काला बुद्धवार कोई भूल नहीं पाएगा