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इस रामलीला में जो भी बना राजा जनक, उसे हुई संतान प्राप्ति..

बेहद खास इसलिए क्योंकि माना जाता है कि इस रामलीला में जो भी राजा जनक का पात्र निभाता है, उसे संतान की प्राप्ति जरूर होती है। ऐसे एक नहीं कई उदाहरण हैं, जिसके चलते लोगों की मान्यता समय के साथ विश्वास में बदल गई। जिस गांव की हम बात कर रहे हैं, उसका नाम संग्राली है। संग्राली गांव उत्तरकाशी जिले में स्थित है। यहां साल 1967 में रामलीला की शुरुआत हुई थी। वैसे तो यहां होने वाली रामलीला दूसरे क्षेत्रों में होने वाली रामलीला जैसी ही है, लेकिन यहां जनक के पात्र के प्रति उपजी मान्यता ने इस रामलीला को अनोखा बनाया है। गांव में जब पहली बार रामलीला हुई थी। तब पहली बार स्व. सुरेशानंद नौटियाल को राजा जनक का अभिनय करने का अवसर मिला था। उनकी संतान नहीं हो रही थी, लेकिन जनक का पात्र निभाने के बाद उन्हें संतान की प्राप्ति हो गई। इतना ही नहीं गांव की रामलीला में राजा जनक का अभिनय करने वाले 18 लोगों को अब तक संतान की प्राप्ति हो चुकी है। अब तो गांव ही नहीं गांव के बाहर के लोग भी संतान प्राप्ति के लिए रामलीला में अभिनय करने आते हैं। गांव के बुजुर्ग कहते हैं कि जो भी निसंतान व्यक्ति राजा जनक का अभिनय करता है, उसे ईश्वर की कृपा से संतान की प्राप्ति जरूर होती है। एक रोचक तथ्य ये भी है कि राजा जनक का पात्र निभाने वाले व्यक्ति के घर पर पूरे गांव को भोजन कराया जाता है। राजा जनक बना पात्र लोगों को सीता के विवाह का बाराती मानकर उनका स्वागत करता है। इस बार रामलीला में गांव के ही आशीष नैथानी को राजा जनक का किरदार निभाने का अवसर मिला है। आशीष की शादी को तीन साल हो गए, लेकिन संतान अब तक नहीं हुई। आशीष को पूरा विश्वास है कि राजा जनक का अभिनय करने के बाद उन्हें भी संतान सुख की प्राप्ति होगी। इतना ही नहीं गांव के लोग तो ये तक कहते हैं कि रामलीला में पात्र निभाने वालों पर ईश्वर की अनुकंपा होती है, और कई लोगों को सरकारी नौकरी भी मिली है।

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