उत्तराखंड के इन जिलों में करनी पड़ेगी 75 % मतदान को मेहनत
लोकतंत्र के सबसे बड़े उत्सव लोकसभा चुनाव में सभी की भागीदारी जरूरी है। भारत निर्वाचन आयोग के निर्देश पर उत्तराखंड का मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय और जिलों की मशीनरी भरसक प्रयास कर रही है। ताकि मतदान के 75 प्रतिशत के लक्ष्य को हासिल किया जा सके। इसकी पूर्ति के लिए उत्तराखंड को वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के मुकाबले मतदान का ग्राफ 13.64 प्रतिशत बढ़ाना होगा। वर्ष 2004 से वर्ष 2019 के बीच के लोकसभा चुनाव में मतदान के आंकड़े देखे जाएं तो हमारा मत प्रतिशत राष्ट्रीय औसत से कम रहा है। हालांकि, प्रत्येक चुनाव में हमने अपने मत प्रतिशत में कुछ न कुछ सुधार जरूर किया है। बीते चुनाव में उत्तराखंड का मत प्रतिशत 61.50 प्रतिशत था, जबकि देश में यह 67.40 प्रतिशत रहा। यही कारण है कि इस बार उत्तराखंड में मतदान का लक्ष्य 75 प्रतिशत रखा गया है।
यह तभी हासिल किया जा सकता है, जब 60 प्रतिशत से कम मतदान वाले जिले भरसक प्रयास करें। इस लिहाज से आठ जिलों को काफी मेहनत करनी होगी। हरिद्वार और ऊधम सिंह नगर ही लक्ष्य के सबसे करीब वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में हरिद्वार व ऊधम सिंह नगर ही ऐसे जिले रहे, जहां मतदान का ग्राफ 70 प्रतिशत से अधिक रहा।
ऐसा नहीं कि इस बार इन्हें सिर्फ 75 प्रतिशत का लक्ष्य हासिल करना है, बल्कि इन्हें और भी ऊपर के टारगेट दिए गए हैं। इन दोनों जिलों को 80 प्रतिशत से अधिक का लक्ष्य दिया गया है। ताकि प्रदेश के औसत में सुधार के साथ लक्ष्य हासिल करने में भी अधिक मुश्किल न आए।
50 प्रतिशत से कम मतदान वाले दो जिलों में अधिक कसरत
मतदान के ओवरआल बेहतर प्रदर्शन के लिए सबसे पीछे रहने वाले अल्मोड़ा और टिहरी में निर्वाचन तंत्र को अधिक प्रयास करने होंगे। बीते चुनाव में ये जिले 50 प्रतिशत का आंकड़ा भी नहीं छू पाए थे।
वर्ष 2019 के चुनाव में मत प्रतिशत और नए लक्ष्य
- जिला, 2019 में मत प्रतिशत, लक्ष्य
- अल्मोड़ा, 47.75, 66.11
- टिहरी, 49.32, 67.31
- पौड़ी, 50.88, 67.65
- पिथौरागढ़, 52.09, 67.09
- रुद्रपयाग, 54.21, 69.94
- चंपावत, 56.17, 69.76
- चमोली, 56.60, 71.60
- बागेश्वर, 57.14, 72.14
- उत्तरकाशी, 60.60, 74.66
- देहरादून, 61.22, 74.78
- नैनीताल, 63.67, 76.51
- ऊधम सिंह नगर, 71.65, 82.43
- हरिद्वार, 72.11, 82.89