बागेश्वर जिले के मल्ला दानपुर क्षेत्र के गांव हाल तक होली के रंगों से दूर रहते थे। उनका मानना ​​है कि यदि वह होली त्योहार मनाते हैं, तो स्थानीय देवता उन्हें दंडित करने के लिए प्राकृतिक आपदाओं का कारण बन सकते हैं। सामा के लगभग 13 गांवों में न्याय पंचायत और सिमगढ़ी क्षेत्र के बास्ते आदि गांवों में ग्रामीण होली से दूर रहते हैं। मल्ला दानपुर क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता राम सिंह कोरंगा ने बताया कि सदियों से यही परंपरा रही है।

जानकार बोले

कुमाऊंनी संस्कृति के जानकर पद्मा दत्त पंत के अनुसार होली 14वीं या 15वीं शताब्दी में चंद राजा लाए थे। मुख्य रूप से ब्राह्मण पुजारियों द्वारा खेली जाती थी। यह एक हिंदू सनातन त्योहार था, इसलिए केवल उन क्षेत्रों में फैला जहां ब्राह्मण पुजारियों की पहुंच रही।