उत्तराखंड मांगे भू-कानून:
देहरादून: उत्तराखंड का मिजाज कुछ दिनों से बदला हुआ सा लग रहा है। यहां कुछ और हो न हो लोग ज़रूर एक हो गए हैं
सड़कों पर आज एक स्वर में सभी लोग भूू-कानून लागू किए जाने को लेकर आवाज़ उठा रहे हैं। पहाड़ों के लोगों ने आखिर जन आंदोलन का ज़रिया अपनाया है। बताया जा रहा है कि विभिन्न संगठनों ने एक स्वर में अपनी मांग रखते हुए मुख्यमंत्री आवास की तरफ़ कूच किया। इस दौरान पुलिस द्वारा इन्हें रोक दिया गया। दरअसल राज्य बनने के बाद से हर कोई सख्त भू कानून की मांग को लेकर आंदोलनरत हैं। मगर इस बार युवाओं ने आरपार की लड़ाई का फैसला लिया है। हर कोई बस इसी जोश और जज्बे के साथ आंदोलन कर रहा है कि सरकार उनकी बात सुनेगी ही सुनेगी।
ऐसे में पुलिस को ड्यूटी पर लगा दिया है मगर इससे युवाओं के जोश में कमी नहीं होगी। प्रदर्शनकारियों की मांग जायज है। उनका कहना है कि उत्तराखंड राज्य बनने के 23 साल बाद भी आज राज्य के मूल निवासियों को कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है। उल्टा राज्य के मूल निवासियों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। उनको खुद के घर मे ही नौकरों की तरह बनकर रहना पड़ रहा है। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि जल जंगल और ज़मीन हमारी पूंजी है। और उसपर बाहरी तत्व कब्जा कर रहे है। उन्होंने प्रदेश में सशक्त भू कानून लागू किए जाने की मांग करते हुए कहा कि सभी हिमालयी राज्यों में वहां के मूल निवासियों के लिए विशेष कानून है, लेकिन उत्तराखंड में सरकार ने जैसे अपने ही लोगों को देखने से इंकार कर दिया है। यहां के निवासी दर दर भटक रहे हैं। हर कोई बस यही चाह रहा है कि बाकी सभी राज्यों की तरह उत्तराखंड में भी भू कानून uttarakhand land law लागू हो। उत्तराखंड के मूल निवासियों के अधिकार सुरक्षित रहें इसलिए प्रदेश में भू कानून लाना बेहद ज़रूरी है। अब यह मुद्दा कितना तूल पकड़ेगा और जन आंदोलन की चेतना कब तक रहेगी, यह तो वक्त बताएगा मगर यह ज़रूर तय है कि इस बार आवाज़ उठी है तो दूर तक ज़रूर जाएगी।