उत्तराखंड में RTE Admission का चौंकाने वाला सच, एक साल में स्कूलों में घट गई हजारों सीटें
कमजोर और अपवंचित वर्ग के छात्रों को निजी विद्यालयों में बेहतर और निश्शुल्क शिक्षा देने के मंसूबों पर मुख्य शिक्षा अधिकारी (आरटीई नियंत्रक प्राधिकारी) पलीता लगा रहे हैं। पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष निजी स्कूलों में शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) की घटी 11, 347 सीटें इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है।
प्रदेश में सबसे अधिक सीटें, हरिद्वार, देहरादून और उधम सिंह नगर जनपदों में हैं। यहां निजी स्कूलों की संख्या भी सर्वाधिक हैं और आरटीई सीटें भी सबसे अधिक हैं। लेकिन कुल निजी विद्यालयों में से करीब पचास प्रतिशत विद्यालयों ने ही आरटीई के लिए आवेदन किय
ऐसे में जनपदों के मुख्य शिक्षा अधिकारी, जिला शिक्षा अधिकारी और ब्लाक शिक्षा अधिकारियों ने अपने स्तर पर स्कूलों को आरटीई के दायरे में लाने के लिए न प्रेरित किया और न समय पर कोई मानिटरिंग की। प्रदेश का शिक्षा विभाग प्रतिवर्ष आरटीई के तहत प्रवेश के लिए पूरा प्रारूप जारी करता है। सबसे पहले निजी स्कूलों को आरटीई पोर्टल पर आवेदन करना होता है कि वह विद्यालय आरटीई के दायरे में आता है।
प्रदेश में सबसे अधिक सीटें, हरिद्वार, देहरादून और उधम सिंह नगर जनपदों में हैं। यहां निजी स्कूलों की संख्या भी सर्वाधिक हैं और आरटीई सीटें भी सबसे अधिक हैं। लेकिन कुल निजी विद्यालयों में से करीब पचास प्रतिशत विद्यालयों ने ही आरटीई के लिए आवेदन किया।
ऐसे में जनपदों के मुख्य शिक्षा अधिकारी, जिला शिक्षा अधिकारी और ब्लाक शिक्षा अधिकारियों ने अपने स्तर पर स्कूलों को आरटीई के दायरे में लाने के लिए न प्रेरित किया और न समय पर कोई मानिटरिंग की। प्रदेश का शिक्षा विभाग प्रतिवर्ष आरटीई के तहत प्रवेश के लिए पूरा प्रारूप जारी करता है। सबसे पहले निजी स्कूलों को आरटीई पोर्टल पर आवेदन करना होता है कि वह विद्यालय आरटीई के दायरे में आता है।