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उत्तराखंड: रिस्पना नदी के किनारे बसे 525 अवैध घर होंगे ध्वस्त, NGT ने दिया आदेश

देहरादून: राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि देहरादून में रिस्पना नदी के बाढ़ क्षेत्र में स्थित अवैध बस्तियों के घरों को नष्ट किया जाए।

एनजीटी ने यह स्पष्ट किया है कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में किसी भी प्रकार का स्थायी निर्माण करना संभव नहीं है, इसलिए इन बस्तियों को पूरी तरह से समाप्त किया जाना चाहिए। इसके अलावा, एनजीटी ने उत्तराखंड विधानसभा द्वारा पारित अतिक्रमण हटाने पर रोक से संबंधित कानून को पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत अमान्य घोषित कर दिया है।

एनजीटी के इस निर्णय के अनुसार, रिस्पना नदी के किनारे स्थित 525 अवैध बस्तियों पर फिर से ध्वस्तीकरण का खतरा मंडरा रहा है। इस वर्ष की शुरुआत में एनजीटी के निर्देश पर नगर निगम और एमडीडीए ने रिस्पना नदी के किनारे 27 बस्तियों में अवैध निर्माणों की पहचान की थी। इनमें से 89 मकान नगर निगम की भूमि पर, 12 मसूरी नगर पालिका की भूमि पर, और 415 एमडीडीए की भूमि पर स्थित थे। इसके अतिरिक्त, नौ अवैध मकान राज्य सरकार की जमीन पर भी बने हुए थे। जिनमें से कुछ मकानों को पहले ही ध्वस्त कर दिया गया था, लेकिन विरोध और कानूनी जटिलताओं के चलते कई मकानों पर कार्रवाई नहीं हो पाई थी।
16 दिसंबर को इस मामले की सुनवाई के दौरान, एनजीटी ने इन बस्तियों को बचाने के लिए बनाए गए कानून को अमान्य घोषित कर दिया। अब एनजीटी ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि 13 फरवरी तक अतिक्रमण की स्थिति पर की गई कार्रवाई और प्रदूषण नियंत्रण के उपायों पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करें।

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