उत्तराखंड संस्कृति विभाग का गजब कारनामा, दफ्तर के चक्कर काटने को मजबूर पद्मश्री बसंती बिष्ट
देहरादून: राज्य सरकार संस्कृति और लोककला को बढ़ावा देने के दावे करते नहीं थकती, लेकिन प्रदेश में लोक कलाकारों के साथ कैसा सलूक हो रहा है
ये जानने के लिए आपको जागर गायिका बसंती बिष्ट का मामला जानना चाहिए। भारत सरकार ने लोक गायिका बसंती बिष्ट को सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री से नवाजा है, लेकिन एक खबर के मुताबिक अपना संस्कृति विभाग न तो उन्हें सम्मान दे पा रहा है और न ही उनके हक का पैसा। बसंती बिष्ट 70 साल की हैं। उम्र के इस पड़ाव में जबकि संस्कृति विभाग को उनका ध्यान रखना था तो विभाग उनके हक के पैसे पर कुंडली मारकर बैठ गया।
उन्हें न तो सम्मान मिल रहा है, न मानदेय का भुगतान। लंबित भुगतान के लिए बसंती बिष्ट ने विभाग के कई बार चक्कर काटे, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। पद्मश्री बसंती बिष्ट बताती हैं कि अगस्त में विभाग की निदेशक वीना भट्ट ने हाथ जोड़कर उनसे निनाद में आने को कहा था। संस्कृति विभाग ने उनका मेहनताना 7500 रुपये तय किया है, जबकि 2007-08 में उन्हें 25 हजार रुपये मिलते थे। बसंती बिष्ट दूरदर्शन और आकाशवाणी की ए ग्रेड कलाकार हैं तो वहां उन्हें 30 हजार रुपये मिलते हैं। आरोप है कि संस्कृति विभाग लोक गायिका को ये 7500 रुपये भी नहीं दे रहा। निनाद में उन्हें 50 हजार रुपये देने की बात हुई थी, लेकिन बिल देने के बाद भी भुगतान नहीं हो रहा।