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कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के 28 जनवरी के उत्तराखंड दौरे

चुनाव भले ही लोकसभा का हो, लेकिन कांग्रेस उत्तराखंड में जीत पाने की आस में स्थानीय समीकरणों पर दांव खेलने जा रही है। पांचों लोकसभा क्षेत्रों में क्षेत्रवार आमजन से जुड़े मुद्दों के साथ ही जातीय और विभिन्न समुदायों को साधने की तैयारी है।

जिलों, ब्लाकों से लेकर बूथों के स्तर पर समीकरण भी बैठाए जा रहे हैं ताकि भाजपा के पाले में जा रहे मतदाताओं में सेंध लगाई जा सके। चुनाव में सत्ताधारी दल के ब्रांड एंबेसडर बन चुके प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लहर को रोकने के लिए छोटे-छाेटे प्रयासों से बड़े बदलाव लाने की रणनीति है।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के 28 जनवरी के उत्तराखंड दौरे पर इस रणनीति को तेजी से अमलीजामा पहनाया जाएगा।

कांग्रेस के सामने प्रदेश में लगातार तीसरे लोकसभा चुनाव में सूपड़ा साफ होने से स्वयं को बचाने की चुनौती है। वर्ष 2009 में सभी पांचों संसदीय सीट जीत चुकी कांग्रेस, उसके बाद हुए दो लोकसभा चुनाव में एक भी सीट पर जीत दर्ज नहीं कर पाई है।

वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा ने सभी सीटों पर भारी मतों के अंतर से विजय प्राप्त की थी। यही नहीं, वर्ष 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में भी प्रमुख प्रतिपक्षी पार्टी को सत्तारूढ़ दल के विजय रथ को रोकने में सफलता नहीं मिली। यद्यपि, विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सीटें सीटें 11 से बढ़ाकर 19 हो गईं।

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