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कालागढ़ बांध क्षेत्र के 213 परिवारों को छोड़ना होगा घर, हाईकोर्ट ने सरकार को दिए निर्देश

पौड़ी गढ़वाल: नैनीताल हाईकोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को पौड़ी जिले के कालागढ़ बांध क्षेत्र में अवैध रूप से निवास कर रहे परिवारों को विस्थापित करने की योजना बनाने के लिए एक सप्ताह का और समय दिया है। अब राज्य सरकार उन 213 परिवारों को स्थानांतरित कर रही है जो दशकों से इस क्षेत्र में अवैध निवास कर रहे हैं।

बीते सोमवार को हाईकोर्ट के जस्टिस नरेन्द्र और जस्टिस आलोक मेहरा की खंडपीठ ने उत्तराखंड सरकार को 5 मई तक नोटिस दाखिल करने का निर्देश दिया है. जिसमें वन और सिंचाई विभागों की अतिक्रमित भूमि पर रहने वाले लोगों को विस्थापित करने की योजना का विवरण दिया गया है। हालांकि बांध का अधिकांश क्षेत्र उत्तर प्रदेश में आता है, लेकिन अतिक्रमित बांध क्षेत्र के लिए उत्तराखंड के बिजली और वन विभाग जिम्मेदार हैं।

बांध क्षेत्र के निवासियों को दिए गए नोटिस

प्रधान स्थायी अधिवक्ता सी.एस. रावत ने न्यायालय को बताया कि पूर्व में जारी आदेश के अनुपालन में दोनों राज्यों के अधिकारियों ने उक्त आबादी को विस्थापितकरने की योजना के बारे में चर्चा के लिए बैठक बुलाई थी। हालांकि, हाईकोर्ट को बताया गया है कि बैठक के दौरान उत्तर प्रदेश ने इस मामले पर अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि अवैध अतिक्रमणकारियों के पुनर्वास के लिए कोई नीति नहीं है। चूंकि अतिक्रमण की गई संपत्ति उत्तराखंड के क्षेत्र में आती है और इस मामले में पौड़ी के जिला मजिस्ट्रेट द्वारा बांध क्षेत्र के निवासियों को पहले ही नोटिस जारी किए जा चुके हैं, इसलिए हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को विस्थापन की योजना पेश करने के लिए एक हफ्ते का अतिरिक्त समय दिया है।

रिटायर्ड कर्मचारियों ने किया अतिक्रमण

जनहित याचिका के अनुसार, उत्तर प्रदेश सरकार ने 1960 में वन विभाग से कई हजार हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित कर सिंचाई विभाग को बांध निर्माण के लिए सौंप दी थी। बांध के निर्माण के बाद, शेष भूमि वापस कर दी गई, लेकिन कुछ जमीनों पर रिटायर्ड कर्मचारियों ने अतिक्रमण कर लिया। अब राज्य सरकार उन 213 परिवारों को स्थानांतरित कर रही है जो दशकों से इस क्षेत्र में निवास कर रहे हैं। इससे पहले, अदालत ने उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के संबंधित अधिकारियों को बैठक आयोजित कर योजना बनाने और 28 अप्रैल तक अदालत के समक्ष प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था। लेकिन अब उत्तराखंड सरकार को 5 मई तक कोर्ट को नोटिस देना होगा।

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