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देहरादून में गाड़ी की 0001 नंबर प्लेट 7.39 लाख रुपये में बिकी, कार के शौकीनों ने लुटाई दौलत

देहरादून: शौक बड़ी चीज है। अब उत्तराखंड में ही देख लें, यहां गाड़ियों पर वीआईपी नंबर पाने की चाह में लोगों ने लाखों रुपये लुटा दिए। 0001 नंबर तो 7.39 लाख रुपये में बिका।

जितनी रकम इस नंबर को खरीदने में खर्च हुई, उतने में तो कोई आराम से नई गाड़ी खरीद लेता। खैर, यहां हम वीआईपी नंबर और उनका आकर्षण किस तरह परिवहन विभाग की जेब भर रहा है, उस पर बात करेंगे। परिवहन विभाग के देहरादून संभाग ने वाहन नंबरों की नई सीरीज में वीआईपी नंबरों की नीलामी के दौरान 5.55 लाख रुपये का लक्ष्य तय किया था, लेकिन विभाग को जबरदस्त रेस्पांस मिला और इस तरह विभाग ने वीआईपी नंबर की बिक्री कर 27.90 लाख रुपये कमाए। परिवहन विभाग ने यूके-07, एफएम-0001 नंबर को सबसे महंगी दर पर बेचा है। इस नंबर के लिए न्यूनतम रकम एक लाख रुपये तय थी, लेकिन इस नंबर के लिए सर्वाधिक बोली 7.39 लाख रुपये लगी है।

वीआईपी नंबरों की नीलामी में 0002 नंबर की दो लाख 29 हजार रुपये में बिक्री हुई। इसी तरह 0003 नंबर के लिए 25 हजार की बोली थी, लेकिन यह नंबर दो लाख छह हजार रुपये में बिका। 9999 नंबर के लिए 25 हजार के सापेक्ष दो लाख दो हजार रुपये परिवहन विभाग को मिले। 7777 नंबर 1 लाख 22 हजार रुपये में बिका, जबकि 0009, 0004, 3333,0008, 5555 नंबरों की भी तय रकम से कई गुना अधिक में नीलामी हुई। आरटीओ प्रशासन सुनील शर्मा ने बताया कि वीआईपी नंबर यूके 07-एफएम सीरीज से विभाग ने निर्धारित 5.55 लाख रुपये के लक्ष्य के सापेक्ष 27.90 लाख रुपये कमाए हैं। वीआईपी नंबर की बिक्री से लोगों को मनपसंद नंबर मिल रहा है, साथ ही इससे विभाग को राजस्व लाभ हो रहा है। वीआईपी नंबर के शौकीनों की बात करें तो पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमेश चंद्र पोखरियाल का नाम भी इस लिस्ट में दर्ज है। उन्होंने 0777 नंबर नीलामी में प्राप्त किया है। महंगे नंबर लेने वालों में शहर के उद्यमियों से लेकर डॉक्टर, नेता और शैक्षणिक संस्थाएं तक शामिल हैं।

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