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पहाड़ में स्वास्थ्य केंद्रों के बुरे हाल, 80% डॉक्टरों की कमी

देहरादून: उत्तराखंड के पहाड़ों में 80 हजार लोगों की आबादी पर एक सीएचसी की आवश्यकता है, लेकिन वहां 44 सीएचसी की कमी है। हाल ही में स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी हेल्थ डायनमिक्स रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है।

उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की 80% कमी है। स्वास्थ्य मंत्रालय की हालिया रिपोर्ट के अनुसार पहाड़ों में 80 हजार की जनसंख्या पर एक सीएचसी होना चाहिए, लेकिन वहां 44 सीएचसी की कमी है। रिपोर्ट में 31 मार्च 2023 तक स्वास्थ्य सेवाओं का विश्लेषण किया गया और इंडियन पब्लिक हेल्थ स्टैंडर्ड (IPHS) के अनुसार विशेषज्ञ डॉक्टरों की 80% कमी का खुलासा हुआ है।

पर्वतीय क्षेत्रों के सीएचसी में गाइनाकोलॉजिस्ट, सर्जन, फिजिशियन, बाल रोग विशेषज्ञ और एनेस्थेटिस्ट के 245 डॉक्टरों की जरूरत है, लेकिन वर्तमान में केवल 48 डॉक्टर ही कार्यरत हैं जबकि 197 पद खाली हैं। रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि अधिकांश सीएचसी में गाइनाकोलॉजिस्ट डॉक्टर मौजूद नहीं हैं। 2005 में राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में 44 सीएचसी थे जिनकी संख्या अब बढ़कर 49 हो गई है।

उत्तराखंड में चार राजकीय मेडिकल कॉलेज हैं, जहां एमबीबीएस डॉक्टरों को पीजी करने की सुविधा है। हालांकि पीजी कर रहे विशेषज्ञ डॉक्टर ग्रामीण उत्तराखंड में सेवा नहीं दे रहे हैं। प्रदेश में कुल 1240 विशेषज्ञ डॉक्टरों के पद सृजित हैं, लेकिन इनमें से लगभग 500 ही कार्यरत हैं। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत का कहना है कि विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी केवल उत्तराखंड बल्कि पूरे देश में है। प्रदेश सरकार इस कमी को दूर करने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है और उम्मीद है कि 2027 तक विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी पूरी तरह दूर हो जाएगी।

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