बनभूलपुरा से दो नाबालिग छात्राएं रहस्यमय परिस्थिति में लापता
बनभूलपुरा से अपहृत दो छात्राओं के मामले में अब नया मोड़ आ गया है। नाबालिग छात्राओं के अपहरणकर्ताओं के तार मानव तस्करी से जुड़ रहे हैं। आशंका है कि छात्राओं को बदायूं के बाद मुजफ्फनगर होते हुए मुंबई में मानव तस्करी के लिए ले जाया जा रहा था। इस मामले में पुलिस ने नाबालिग आरोपित के मामा, दीदी-जीजा समेत चार आरोपितों पर मानव तस्करी व पाक्सो अधिनियम की धारा भी बढ़ा दी है।
साथ ही मुजफ्फरनगर व मुंबई कनेक्शन चेक किया जा रहा है। 20 जून को बनभूलपुरा से दो नाबालिग छात्राएं रहस्यमय परिस्थिति में लापता हो गई थीं। दूसरे समुदाय का नाबालिग उन्हें भगाकर ले गया था। छात्राओं की बरामदगी के लिए हिंदूवादी संगठन व भाजपा से जुड़े लोगों ने पुलिस बहुउद्देशीय भवन व कोतवाली के बाहर धरना-प्रदर्शन किया था। पुलिस ने टीमों की संख्या बढ़ाई।
उत्तराखंड व उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिलों में दबिश डाली। सर्विलांस व सीडीआर खंगाली, जिसके बाद मंगलवार को बनभूलपुरा थानाध्यक्ष नीरज भाकुनी, एसओजी प्रभारी संजीत राठौर व मंगलपड़ाव चौकी इंचार्ज दिनेश जोशी ने मंसूरपुर मुजफ्फरनगर रेलवे स्टेशन से दोनों छात्राओं व आरोपित नाबालिग को पकड़ लिया था।
पुलिस पूछताछ में पूरे मामले का मास्टरमाइंड नाबालिग आरोपित का मामा बनभूलपुरा लाइन नंबर 17 निवासी अब्दुल समी उर्फ भोला निकला। उसी ने भांजे का उकसाया था, क्योंकि वह खुद हिंदू युवती से शादी कर चुका है।
वहीं, नाबालिग आरोपित की सहसवान बदायूं निवासी बहन निशा उर्फ नूरीन व उसके पति उजैर उर्फ आसिफ ने नाबालिग को भगाने में सहयोग किया और मुजफ्फरनगर निवासी आमिल ने भी मोबाइल खरीदकर रुपये देकर मदद की। इस मामले में पुलिस ने मंगलवार देर शाम तक नाबालिग छात्राओं, आरोपित नाबालिग व उसके मामा-दीदी-जीजा व आमिल से पूछताछ की।