विजय दिवस
16 दिसंबर को पूरा हिंदुस्तान विजय दिवस के रुप में मनाता है, वह तारीख जिस दिन हिंदुस्तान के सैनिकों ने पाकिस्तान के हजारों सैनिकों को धूल चटाने का काम किया। वह तारीख हिंदुस्तान की सैनिकों के पराक्रम की तारीख है। हिंदुस्तान में जहां पाकिस्तान के हजारों सैनिकों को ढेर किया वही पाकिस्तान के 93000 सैनिकों ने भारत के आगे घुटने टेकने का भी काम किया। भारत पाकिस्तान के युद्ध में उत्तराखंड के लगभग ढाई सौ सैनिकों ने अपनी शहादत दी थी। और आज इस दिन को उत्तराखंड सरकार विजय दिवस के रूप में मनाती है। यह बैंड की धुन बयां कर रही है उस पराक्रम को जिस पराक्रम के आगे खुद प्रदेश के मुख्यमंत्री और सैनिक कल्याण मंत्री जी शहीदों की शहादत को नमन करते नजर आए। बैंड की धुन पर जब प्रदेश के मुख्यमंत्री शहीदों को नमन कर रहे थे तो यह साफ हो चुका था कि यह माहौल गमगीन होने का नहीं बल्कि सीना चौड़ा करने का है क्योंकि आज का दिन हमारे सैनिकों का दिन था उन्हीं सैनिकों का जिनके पराक्रम को आज हम सब मिलकर विजय दिवस के रूप में मनाते हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस दौरान सैनिकों और शहीदों की वीरता को नमन किया। उत्तराखंड प्रदेश के लिए बहुत ही गर्व की बात है यहां समय समय पर हर परिवार के कई सैनिकों ने अपनी शहादत देकर इस प्रदेश की आन और बान के लिए अपना सब कुछ समर्पित कर दिया। उत्तराखंड की है जहां के घर घर में कई लोग सेना से जुड़े हैं और समय-समय पर इसकी निगरानी के लिए अपना बलिदान देने से चूकते नहीं। उन तमाम शहीदों को हम सब एक बार फिर से नमन करते हैं