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विदेश तक पहुंचा उत्तराखंड का ‘पिस्यूं लूण’, शशि बहुगुणा रतूड़ी के हाथों का हुनर देखिए

देहरादून: बात चाहे पौष्टिकता की हो या फिर स्वाद की, उत्तराखंड के पहाड़ी व्यंजन हर पैमाने पर खरे उतरते हैं।

कोदे की रोटी, फाणूं और झंगोरे की खीर के स्वाद के साथ ही पहाड़ में मिलने वाला खास नमक ‘पिस्यूं लूण’ हर किसी को चटखारे लेने पर मजबूर कर देता है। आज हम आपको देहरादून की उन महिलाओं के बारे में बताएंगे जिन्होंने पहाड़ के घर-घर में मिलने वाले ‘पिस्यूं लूण’ (पिसा हुआ नमक) को नमकवाली ब्रांड के नाम से देशभर में पहचान दिलाई। हम बात कर रहे हैं थानो निवासी शशि बहुगुणा रतूड़ी और उनकी टीम की। जो कि आज ‘पिस्यूं लूण’ तैयार कर अपनी आर्थिक स्थिति को बेहतर बना रही हैं। इतना ही नहीं ‘नमकवाली’ ब्रांड से जुड़कर पहाड़ के कई गांवों की महिलाएं और किसान भी मोटा अनाज, दालें, मसाले व बदरी गाय का घी बेच रहे हैं। बदरी गाय के दूध से तैयार घी और मैजिक मसालों की जबर्दस्त मांग है।

उत्तराखंड में सिलबट्टे पर पिसे नमक के शौकीन पूरी दुनिया में हैं। शशि बहुगुणा बताती हैं कि उन्होंने मांगल गीतों को बचाने के लिए एक समूह बनाया है। गीतों के अभ्यास के दौरान एक महिला घर से लूण पीसकर लाती थी, जो सबको बेहद पसंद आया। यहीं से उन्हें पिस्यूं लूण को देश-दुनिया तक पहुंचाने का आइडिया आया और आज वह महीनेभर में 35 से 40 किलो पिस्यूं लूण बेच रही हैं। लूण पीसने के काम में शशि के साथ थानो, सत्यो, टिहरी, चंबा आदि स्थानों से 15 महिलाएं जुड़ी हैं। जो की एक महीने में दस हजार रुपये तक कमा लेती हैं। नमकवाली ब्रांड के जरिए कई गांवों की महिलाओं को रोजगार मिला है। ये महिलाएं जड़ी-बूटियों से मसाले तैयार करने के साथ ही बदरी गाय के दूध से घी बनाती हैं। नमकवाली ब्रांड के तहत अदरक, लहसुन, भांग, मिक्स फ्लेवर आदि लूण तैयार किए जाते हैं, जिन्हें देश-विदेश में खूब पसंद किया जाता है।

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