शाबाश भुली: सल्ट ब्लॉक की गीता ने पिरुल से बनाई खूबसूरत राखियां, विदेशों से आ रही है डिमांड
अल्मोड़ा: जंगलों के लिए अभिशाप माने जाने वाला पिरूल अब हस्तशिल्प में ढलकर पहाड़ की बेटियों को रोजगार दे रहा है।
चीड़ की पत्तियों यानि पिरूल से कई तरह के उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं। रक्षाबंधन के मौके पर अलग-अलग क्षेत्रों में रहने वाली बहन-बेटियां पिरूल से राखियां तैयार कर लोगों को पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रही हैं। अल्मोड़ा के सल्ट ब्लॉक में रहने वाली गीता पंत ऐसी ही हुनरमंद बेटियों में से एक हैं। मानिला गांव में रहने वाली गीता ने पिरूल से कई तरह के शानदार प्रोडक्ट बनाए हैं। वो पिरूल से हेयर क्लिप, टोकरियां, पेन स्टैंड, कान के झुमके और वॉल हैंगिंग जैसे कई प्रोडक्ट तैयार कर रही हैं।
रक्षाबंधन के अवसर पर वो पिरूल से खूबसूरत राखियां बना रही हैं, जिनकी देश ही नहीं विदेशों में भी खूब डिमांड है। गीता बताती हैं कि वो पिछले 2 साल से पिरूल से राखियां तैयार कर रही हैं। उत्तराखंड के साथ-साथ दूसरे राज्यों में भी इन राखियों को खूब पसंद किया जाता है। विदेशों से भी पिरूल से बनी राखी की डिमांड आ रही है, क्योंकि ये राखियां इको फ्रेंडली होती हैं। गीता ने पिछले साल अमेरिका में पिरूल से बनी राखियां भेजीं, जिससे उन्हें अच्छी आमदनी हुई। जम्मू-कश्मीर के साथ ही गाजियाबाद, दिल्ली, देहरादून, नोएडा, फरीदाबाद से भी पिरूल की राखियों की डिमांड आ रही है।