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सुरंग में 17 दिन, न सोने को बिस्तर, न ही शौचालय

उत्तरकाशी: उत्तरकाशी की सिलक्यारा सुरंग से बचाए गए सभी श्रमिक जिंदादिली की मिसाल बनकर उभरे हैं।

बीते 17 दिनों से इनकी सलामती के लिए देशभर में दुआएं मांगी जा रही थीं, दुआएं कबूल हुईं और आज ये सभी खुली हवा में सांस ले रहे हैं, अपनों के बीच पहुंच चुके हैं। हर कोई इन सभी 41 मजदूरों की कहानी जानने को बेताब है। पीएम नरेंद्र मोदी ने भी सभी मजदूरों का हालचाल जाना और फोनकॉल के जरिए उनके साथ बात की। पीएम मोदी ने सुरंग में फंसे मजदूरों का नेतृत्व करने वाले शबा अहमद और गब्बर सिंह से फोन पर बातचीत की। शबा अहमद ने पीएम से सुरंग में बिताए गए दिनों का अनुभव साझा करते हुए कहा कि सर हम लोग तकरीबन 18 दिनों तक सुरंग में फंसे रहे, लेकिन एक दिन भी ऐसा एहसास नहीं हुआ कि हम लोगों को कुछ कमजोरी या घबराहट हो रही है। सभी 41 लोग वहां भाई की तरह रहते थे। किसी को कुछ भी हो तो हम मदद को तैयार रहते थे। खाना भी मिलजुल कर खाते थे।

सुबह सभी श्रमिक योगाभ्यास करते थे। रात का खाना खाने के बाद सुरंग में पैदल टहलते थे। झारखंड के एक श्रमिक ने बताया कि उसने बीते 17 दिन फोन पर लूडो खेलकर समय बिताया। पहले सुरंग से किसी को फोन कर पाना संभव नहीं था, लेकिन बाद में रेस्क्यू एजेंसियों ने पाइप के जरिए घरवालों से बात करवाई थी। चिन्यालीसौड़ के विश्वजीत कुमार वर्मा ने कहा कि जब मलबा गिरा तो हमें पता चल गया कि हम फंस गए हैं। सभी हमें निकालने के प्रयास में लगे रहे। हर तरह की व्यवस्था की गई। ऑक्सीजन की, खाने-पीने की व्यवस्था की गई। उन्होंने अपने जीवन के नौ दिन का गुजारा केवल ड्राई फ्रूट्स और चने खाकर भीतर बह रहे स्रोत के पानी से किया। उनके पास न तो सोने को बिस्तर था न शौचालय की सुविधा, लेकिन मजदूरों ने अपना हौसला नहीं खोया। मंगलवार को बौखनाग देवता के आशीर्वाद से सभी श्रमिकों को बाहर निकाल लिया गया।

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