हरिद्वार लोकसभा सीट का चुनावी इतिहास
हरिद्वार लोकसभा सीट का अपना ही मिजाज रहा है। हरिद्वार में राजनीति के दिग्गजों के लिए वह सब कुछ है, जो उनको अनुकूल लगता है। मौसम के साथ इस सीट पर राजनीति भी करवट बदलती रही है। हरिद्वार संसदीय सीट में आश्रम, मठ, गंगा तीर्थ हरकी पैड़ी, त्रिवेणी घाट, शक्तिपीठ मनसा देवी, चंडी देवी, गायत्री तीर्थ शांतिकुंज, कलियर शरीफ समेत अनेक धार्मिक स्थल हैं।
राजाजी नेशनल पार्क पर्यटकों को आकर्षिक करता है तो महारत्न कंपनी बीएचईएल समेत औद्योगिक क्षेत्र विकास की कहानी बयां करता है। रुड़की आइआइटी, गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, पतंजलि विवि, देव संस्कृति विवि आदि विख्यात संस्थान हैं। हर जाति, धर्म, वर्ग, समुदाय के लोगों का यहां गुलदस्ता है। शहरों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक आबादी निवास करती हैं। किसान राजनीति का गढ़ है तो देश-दुनिया में संत-महंतों की आवाज भी यहीं से बुलंद होती रही है। हरिद्वार को उत्तराखंड का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है।
- 20, 08,062-क्षेत्र में कुल मतदाता
- 10,57, 295 पुरुष मतदाता
- 9,50,612 महिला मतदाता
- 13 आम चुनाव और एक उपचुनाव हो चुका इस सीट पर
- 6 बार भाजपा, पांच बार कांग्रेस, दो बार लोकदल और एक बार सपा जीती
1977 में अस्तित्व में आई सीट
हरिद्वार सीट 1977 में अस्तित्व में आई थी। शुरू में इस सीट पर पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का प्रभाव होने के कारण लोकदल का ही दबदबा रहा। अब तक इस सीट पर 13 आम चुनाव और एक उपचुनाव हुआ है। इसमें सबसे अधिक छह बार भाजपा, पांच बार कांग्रेस, दो बार लोकदल और एक बार समाजवादी पार्टी की जीत हुई। कांग्रेस का गढ़ रही इस सीट पर 1991 के बाद भाजपा ने दबदबा बनाया। राज्य गठन के बाद 2004 में सपा और 2009 में कांग्रेस के पास हरिद्वार सीट रही। पिछले दो चुनाव से भाजपा का परचम है।