एशिया के सबसे बड़े चौबटिया सेब बागान में ट्यूलिप गार्डन
एशिया के सबसे बड़े चौबटिया सेब बागान में ट्यूलिप गार्डन अब पूरी रंगत में आ गया है। करीब 235 हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैले इस बागान के बीचोंबीच इन दिनों बारी बारी खिल रही हालैंड व डेनमार्क की लगभग 12 प्रजातियां सैलानियों को आकर्षित करने लगी हैं। सात रंगों वाले इन फूलों में लाल पीला मिक्स ट्यूलिप हर किसी को मुग्ध कर रहा है।
समुद्रतल से लगभग 2200 मीटर की ऊंचाई पर चौबटिया स्थित सेब बागान में फलों के साथ फूलों की खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ट्यूलिप गार्डन स्थापित किया गया। मकसद था सैलानियों को मार्च से अप्रैल मई पहले पखवाड़ा तक बागान की ओर खींचना। दरअसल, मई पहले सप्ताह तक सेब बागान में फल देखने को नहीं मिलते। मगर नैसर्गिक सौंदर्य से लबरेज सीढ़ीदार एप्पल गार्डन में फूलों खासतौर पर ट्यूलिप का दीदार कराना भी बड़ा उद्देश्य रहा।अधीक्षक एनएस राणा के अनुसार बीते वर्ष हालैंड की लीवंडरमार्क, स्नोलेडी, व्हाइटहेग व रोसिलियन समेत चार प्रजातियों के बल्ब लगाए गए थे। परिणाम बेहतर मिलने पर इस वर्ष ट्यूलिप की आठ प्रजातियां स्ट्रांग गोल्ड, एटेलाग्रेफिटी, लैपटाप-आर, क्वीन आफ नाइट, डेनमार्क, अपडेट, रेड क्वैंक्यूरर व टामप्यूसी के बल्ब लगाए गए। वर्तमान में 6700 बल्ब पौधों की शक्ल लेने लगे हैं। इनमें कई प्रजातियों में फूल खिलने भी लगे हैं। जो एप्पल गार्डन की खूबसूरती में चार चांद लगा रहे हैं। ट्यूलिप के बल्ब लगाने का सही समय दिसंबर है। पौधा बनने के बाद मार्च पहले सप्ताह से अप्रैल मध्य तक ट्यूलिप के फूल खिलते हैं। इसके बल्ब अमूमन गल जाते हैं। 30 प्रतिशत पुराने बल्ब बचते हैं। जो सुरक्षित रह जाते हैं, उनमें पुराने मूल बल्ब एक से तीन नए बल्ब बनाते हैं। बागान अधीक्षक एनएस राणा के अनुसार अगले सीजन से पर्यटकों को ट्यूलिप के बल्ब भी उपलब्ध कराएंगे। जो सैलानी बल्ब लेना चाहेंगे, उन्हें उपयुक्त कीमत पर क्रय भी किए जाने की योजना है।
सुर्ख लाल, लाल पीला मिक्स, बैगनी और मैजेंटा, सफेद, पीला और गुलाबी रंग के हैं।
उद्यान संयुक्त निदेशक बृजे गुप्ता के अनुसार, ‘परिणाम सुखद मिले हैं। अगले सीजन में ट्यूलिप का क्षेत्रफल बढ़ाएंगे। प्रयास करेंगे कि कुछ और नई प्रजातियां लगाई जाएं।